Thursday, April 29, 2010

रंग - संवाद-

अब्सर्ड नाटक और हिंदी रंग-मंच
absurd
साहित्य ने विशेष रूप से, 1940 में Europe में जन्म लिया ,एक प्रचुर धरा और तेजे से ये विक्सित हुआ ,ये साहित्य और इसका आन्दोलन मुख्य धारा का हिस्सा बन गया.ये आन्दोलन कोई आम उद्देश्य , स्पष्ट दर्शन या विचारधारा का आंदोलन नहीं था.ये अव्यवस्तिथ साहित्य आन्दोलन था , इसके मुख्य लेखक ,ALBERT CAMUS ,JEAN-PAUL SARTRE ,N.F.SIMPSON ,SAMUEL BECKETT,GUNTER GRASS, FERNANDO ARABEL,EDWARD ALEBE, HEROLD PINTOR,GENET,ARTHUR ADAMOV थे ,जिनकी रचनाओ ने साहित्य के सभी परिपाटियों में हलचल पैदा की .
absurd शब्द मूलतः बेतुका ज्ञान की विभिन्न शाखाओं में इस्तेमाल किया. ,
absurd शब्द, संगीत की विद्या का था और इसका मतलब है कोलाहल , गणित में इसका मतलब "कुछ भी " है , अलग - अलग या अराजक है ,तर्क की द्रष्टि मैं इस शब्द का अर्थ न्यायविस्र्द्ध ,या सौंदर्यशास्त्र में तर्कहीन, absurd मतलब है अप्रासंगिक या विषम. या कुल मला कर जो अप्रासंगिक, व्यर्थ, बेकार और हास्यास्पद हो वो absurd हे. मूलतः. , बेतुका शब्द, संगीत की विद्या का था और कोलाहल का मतलब है, गणित बेतुका मतलब कुछ भी है कि अलग - अलग या अराजक है में तर्क में, शब्द का अर्थ न्यायविस्र्द्ध या सौंदर्यशास्त्र में तर्कहीन, इसका मतलब है अप्रासंगिक या विषम. जो रचना अप्रासंगिक, व्यर्थ, बेकार और हास्यास्पद हो .

absurd PLAY की विशेषता क्या है?

absurd नाटक मैं स्वप्न ,फंतासी, कल्पना, सभी तत्व काव्य-नाटक की तरह होते हे, लेकिन मोलिक और ज़मीनी फर्क हे इसकी भाषा , काव्य नाटक मैं भाषा सुन्दर , परिष्कृत और काव्यात्मक होती है. जबकि absurdअपरिष्कृत और भाषिक सोंदर्य के आसपास भी नहीं होती ,उसकी बे-तरतीबी ही उसका हुस्न होती हे ,इसकी भाषा में संवाद के शाब्दिक अर्थ का मतलब नाटक के कथ्य से अलग भी हो सकता .अर्थात संवाद और कथ्य मैं कोई सामंजस्य नहीं होता .ये असमंजस्य चरित्र और कथ्य में "psychic distance" प्रदान करता हे जो बिखरा किन्तु बहु-आयामी लगता हे."psychic distance के कारण भाषा का वर्चस्व तो कम होता हे क्योंकि इस तरह के नाटक का भाषिक और तर्किकी मूल्यांकन संभव नहीं क्योंकि इसको साहित्य की निश्चित परिपाटी पर नापना इसके क्राफ्ट और सोंदार्ये के खिलाफ हे. इन नाटको में हम दुनियादारी , जीवन के यांत्रिकीकरण और उसके दुश-परिणाम की तस्वीर देख पते हे
कामू के अनुसार, लोगों के व्यवहार कुछ परिस्थतियों में व्यर्थ दिखाई देता हे , "कामू." एक कांच की दीवार के पीछे फोन पर बात कर रहे किसी आदमी की स्थिति की तुलना करते हे हम केवल होंठ हिलाना और हाथ का इशारा देख सकते हैं लेकिन हम सुन नहीं सकते .कुछ इस तरह के दृष्टिकोण सेabsurd नाटको के द्रश्य होते हे ऐसे ही अनुभवों को प्रदान करने औ रखोजने का प्रयास थे absurd नाटक .

.absurd मतलब ?

5 comments:

  1. आपका स्वागत है .
    नाट्य ,रंग और अभिनय कला पर आपके योगदान से आगे अच्छी जानकारियों की उम्मीद है .

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  2. हिंदी ब्लाग जगत की इस सरस दुनिया में आपका स्वागत है...हर तरह के दबाव से मुक्त यह स्वतंत्र पर्यावरण आपकी कलम और आपकी सोच को पूरा पूरा मौका देगा कि यह लगातार ऊंचे से ऊंचे उड़ सकें....अन्य ब्लागों और उनके कलमकारों के साथ आपके मित्रता पूर्ण संबंध इसे और बल प्रदान करेंगे....सो अधिक से अधिक ब्लागों के अध्यन को अपनी अन्य अच्छी आदतों में शामिल करें और पढ़ी हुयी रचनायों पर टिप्पणी करना न भूलें...

    तिवारी जी अदाकारी की तकनीक पर आपका प्रयास बहत अच्छा है लेकिन फोन्ट बहुत ही छोटा है...

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. " बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,

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